पादप हार्मोन्स
►ऑक्जिन :- यह पौधे की वृद्धि के लिए उत्तरदायी मुख्य
हार्मोन्स है जो कि कोशिका वृद्धि और कोशिका विभाजन के प्रेरित करता है। यह फूल
और फल को पौधे के साथ मजबूती प्रदान करता है। और
औधे में वृद्धावस्था को रोकता है यह हार्मोन्स ‘फ्लोएम’ के माध्यम से गति करता है। कुछ ऑक्जिन जैसे- 2-4-डी रसायन खरपतवार नाशी के रूप में कार्य करता है (डी- डाई क्लारो
फिनॉक्सी एसीटिक अम्ल)
►साइटो काइनिन :- यह ऑक्जिन के सहायक के रूप में वृद्धि
प्रेरक के रूप में कार्य करता है। पौधे में वृद्धावस्था को रोकता है। इसे रिच
मॉण्ड लैंग प्रभाव कहते हैं।
►जिबरैलिन:- यह भी वृद्धि प्रेरक हार्मोन्स है। जो पैधे को लंबा करने में कार्य करता है
►एब्सासिक :- इसे वृद्धि अवरोधक हार्मोन्स कहते हैं जो बीजों
के अंकुरण को रोकता है। फल और फूल को गिरने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन सूखे की
स्थिति में यह हार्मोन्स पत्तियों में स्टोमेटा(रंन्ध्र) बंन्द करने के लिए
प्रेरित करता है। ताकि पौधे में वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया धीमी हो जाए और पौधे में जल की कमी न हो पाये
►एथलीन:- एक मात्र ऐसा हार्मोन्स है जो गैसीय अवस्था
में पाया जाता है इसका उपयोग कच्चे फलों को पकाने के लिए किया जाता है इसके अलावा
‘एसिटलीन’ गैस और इथेफोन रसायन और
कार्बाइड का प्रयोग भी किया जाता है।
► फ्लोरीजोन्स :- इसे फूल खिलाने वाला हार्मोन्स कहते हैं।

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